मेरा मौसम
आज भीगा सा है
गीला नहीं, क्यूँकि
भीगाना अपनी रहमतों से
तो भगवान की रीत है
गीला तो हम
ख़ुद को और अपने आसपास
अपने गिलों और शिकवों से
करते हैं ।
ज़िंदगी बह रही है
और ज़िंदगी संग मैं
कि बाबा तुम्हारे उपरांत
तैरने को परे तज
मैंने बहना सीख लिया है।
मुअम्मा है -
ज़िंदगी की करवटें
ये उतर चढ़ाव
भावनाओं की सलवटें
किसने की मुअइयन?
ये हमारे दाव पेंच थे
या क़दर की थी पटखन
जिसने ज़िंदगी को
पेचीदा बना डाला?
इस बिखरी बदलती दुनिया में -
कई साथ मिला
कुछ बिछड़ गए
पर रब रैन ढले
जो मनन किया
दिल के तहों ने
नाज़ किया
नित रोज़ बदलते रिश्तों में
प्रीत अनूठी पाकीज़ा
तेरीं क़ुदरत के अनमोल रतन
मेरे दोस्त बड़े ही अच्छे हैं