Saturday, August 24, 2024

कश्मकश

 प्यार अजूबा है - सच। 

It is from Him - True

So if it is from God then how come  God becomes a jealous God and expects denial of this miracle? 

No answers!

Will wait and see.


अजीब कशमकश है ये -
लोभ पड़ी पाने की,
इक ओर 
साथ की चाहत खींचे
गहराइयों में उतरी जाऊँ
कि मेरा सीप पड़ा है 
वो पकडे अपने दिल में भींचे 
ललक बड़ी है 
उतरूं भीतर 
ले डुबकी जा ले आऊं ।

क ब से 
मानो कुरुक्षेत्र छिड़ा है  
मन अंतरद्वन्द में है फुँकता  
शंख फूंका है तुने साक़ी 
तो तुम्हीं दो बतला
किस ओर तानु बाण कमान मैं 
किस तरफ़ मैं 
शस्त्र चलाऊँ -
घायल कर दूँ खुद को
या फिर अपनी बली चढ़ाऊँ ?

निस दिन निस दिन  
चित ललकारे है
हर तरफ़ पड़ी रेखाएँ हैं 
पग डग मग मापे 
उसके मेरे धर्म 
बड़ी बड़ी सीमाऐं 
ग्रंथ पाठ फिर भी 
मोह कुछ यूँ सुलगाएं 
कहते प्यार बड़ा है निर्मल
फिर भी शास्त्र वाचे है 
मगर, परन्तु  किंतू
त्याग त्याग पंडित चीत्कारे
पलट आगे न बढ़ तू.

लोक सबक़ है बिलकुल दूजा -
सब कहें 
प्यार की झूठी माया 
करे मुग्ध कलूटी काया 
प्रीत सौतेली 
हरदम इसने प्रेम पथिक को लूटा
ले सुख चैन, 
कर नयन से नींद नदारद 
जाती मर्यादा की आहुति 
सुलग रही लपट हवन में 
समझ बुझ की ये वाणी सुन 
मोह में  ना पड़ प्यारे;
पढ़ तज, त्याग, निर्मोह का मंतर  
जाप निरंतर कर ले 
होनी नहीं जो कदापि मुमकिन 
स्वैच्छा सूली चढ़ ले  
वरना अंजाम लिखा है 
बद है 
ना खेल प्रीत मिचोली
मिले बदल बस उपहास, ठिठोली
अगर शुरू हुवे 
मिलन बिछोह के 
प्रचंड प्रसंग!

 
उफ़
उत्तर जो ना दो तुम तो
मैं मंथन में उतलाऊँ 
भाते नहीं क्यों मन को मेरे
ये पाप पुण्य के फेरे
मुँद नज़र बैठूँ क्या,
धृतराष्ट्र बन शायद 
मैं बच पाऊँ?
जानूं ये तो मेरे करे से 
कहाँ कोई टलनी है 
होनी है जो होगा,
कलम नहीं मेरे हाथों में 
तो सोच समझ  क्या लेना?
बन मूक, बहिर मैं 
अंधियारे की परतें ताकूँ 
सन्नाटों की ध्वनि साधुं 
साँस जपन की माला ताड़े।

मूक बने तुम चुप हो भगवन 
क्यों देते नहीं निदान?
चलो फिर से सहते है , कह  
मेरे भाग नहीं बलवान'
निष्क्रियता से सहज सह लूँ मैं 
यही सरल समाधान
प्रभुत्व का धर्म करता है 
पल पल  यही पुकार -
तुम क्यों रहो भला अनजान 
तड़पन अर्पण से 
सुनो मेरे पीड़न की गुहार,;
व्यथा समझो मानस की 
इस से पहले 
लिखो तुम विधि विधान 
दिल को देती 
बस यही दिलासा -
है पास नहीं तो खोना कैसा
पर प्रभु पा कर 
खोना नहीं आसान ।







  


No comments: