Wednesday, August 21, 2024

अश्क़ और इश्क़

Taking solace, applying brakes in acceptance. Tears will fall. Heart will ache. So be it - may the Light enlighten all 🤲🏼

इश्क़ की बात है -
अश्क़ों से शुरू 
अश्कों पे ख़त्म होती है 
दिल का पैमाना हुआ लबरेज़ तो
छलकने की ललक होती है।

आह 
जाओ तुम्हें  छोड़ा
ख़ुदाई सनम की ख़ातिर
यूँ भी 
तारिकी कहाँ बुझती है 
इक लौ से लिपट कर तन्हा,
बचती है और कुछ साँसें 
तो तनहा ही 
हो जायेंगी बसर,
ज़िंदगी आज़माइश
और सब्र
के दरमियाँ
बेवजह बसर होती है।

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