Monday, August 19, 2024

अब ज़िद्द मेरी है

 

धर्म - कर्म के 
झंझट से ऊब चुके हैं हम
थम गये अब थक थक कर
बहुत हुई भटकन
लो पकड़ो वापस ले लो
लो रखो अपनी क़लम
साक्षी -
दिशा सूचक जो नहीं दिया 
मेरे नहीं बढ़ेंगे क़दम।

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