Tuesday, October 15, 2024

dil

It's a struggle, a true strife to find balance of heart between what should be and what can't be. 

दिल बेदर्द
आवरागर्द
हुआ बैठा है
और हम उसे
चेहरे पे पड़ी
सिलवटों 
में समेटने को हैं
बेक़रार
दिल बेदर्द
आरज़ूमंद 
है हमें बनाने को
गुनहगार
दिल बेदर्द है
मगर हुआ बेकाबू
जो पा कर
ख़्वाबों का आसमान
चाहता करे अपना सच
साक्षातकार-
क्या करें 
दिल ही तो है!

No comments: