Wednesday, October 23, 2024

Holding back is the light of wisdom. Why affect others with negativity scribed in my Akashic records - it has shown me nothing but the face of rejection and abandonment. I am scared stiff of getting close to anyone.... the moment I lose myself in love of another, they are taken away or driven to repel me in sheer distaste. Gosh, I should've become immune to this and still I end up crying in vain! Stupid me. Accept accept accept is the mantra to jaap.


नाराज़गी अगर है भी तो 
तुम से क्यों ? -
तुम ने तो पहले ही 
हाथ उठा
हृदय विहीन होने का 
है दावा ठोका 😊
अगर दिल मेरा डोला 
तो रब की पहचान का 
हम ने है तोहफ़ा समझा;
हाँ कसक है तो सही
उन फ़ासलों से
जो है दरमियान में पसरे 
पर इनको क़ुर्बत में बदलने
का हो हौसला किस का?

आप शम्स हो कइयों के
कई अंधेरे को है इत्मीनान 
जाने कब से -
हमें अंधेरों में जीने की है 
आदत भी कब से कब से; 
धूप का टुकड़ा जो मिला
जितना भी था, काफ़ी है रहा 
इस जन्म के लिए 
ना कोई तकलीफ़, ना शिकवा
ना ग़ुस्से का सिलसिला -
बस कोशिश यही 
कि परछाई मेरी 
किसी शम्स की रोशनी को
कर जाये ना रुसवा बेजा
छोड़ूँ ना किसी पर 
अपने नसीबों के गहन के 
गहरे निशाँ
शनि और मंगल के चक्करों का 
बड़ा डर है यहाँ; 
यक़ीन ख़ुद पे नहीं, और 
प्यार में स्वार्थ का कोईं 
दस्तूर नहीं
इसी फ़िक्र में 
शबो रोज़ मेरे कटते तनहा 🙏🏼 


No comments: