Tuesday, October 22, 2024

Felt the attempt to distance last evening. There's a full plate on the other end, and to drop me off it, is the easiest solution. I understand. 

Still ....जाने क्यों it hurts. 

Dil hi to hai ..: aur mera to sada baccha hai ji.


मुद्दत हुई खामोशी की 
आज फिर मेरी
घंटी नहीं बजी 
मौन मेरा फ़ोन था, 
सुई घड़ी की सरक गई!

हैरान है दिल -
बंदा है नासमझ
इसी ग़म में है गिरफ़्तार 
क्या वो रहा खामोश
या फिर किसी प्रकार 
मैं हुई हुँ ख़ताकार -
गफ़लत हुई है क्या
क्या खता अनजाने ही 
सरज़द हो गई?
या शायद फिर 
नाकामी है मुक़द्दर
इतनी सी बात है
इस में ढूँढना किसी का भी 
दोष क्या - है बेकार
बेकार बात है।

यूँ भी - 
मुहब्बत में मेरे नुक़्स हैं
ये जाने हैं सब तमाम
कितना भी करूँ इहतमाम  
ये पौध हमें 
सहती नहीं जनाब 
बस जान कर ये नसीब 
मैंने भी खामोशी की 
है आड़ ली...
फिर भी आँखों से
आंसुओं की धार 
जाने क्यों 
बेसाख़्ता दिले बेताब 
को घंटों 
कल रात सींचती रही -
पल पल घंटों से जा मिला
और यूँही
मेरी शाम ढल गई!

No comments: