Monday, September 09, 2024

सवेरा

Will it last? Reality does .... Magic doesn't 

हर साँझ सोचते हैं हम -
कर लेंगे मन का पूर्णविराम 
आज ज़रूर गीता पाठ में हो रम 
कर देंगे बंद 
अपने मन को आते 
सब सारे समस्त द्वार;
फिर दृढ़ प्रण प्रतिज्ञा 
हारे है उस पल 
जब भोर की आती बाँग
प्रातः के किरणों के संग
तुम बन 
एक मृदु ख़ुशबू का झोंका 
आ जाते भरे झोली के अंदर 
तुम से मेरे चंद सवाल
शब्द तुम्हारे मेरे समतल पर
राग नया निस दिन यूँ छेड़े हैं 
दोष मेरा है 
या लीला और माया
तज सोच के सारे झमेले हम
चुनते पल पल 
बटोरते मन भर 
तुमरे वुजूद की चाशनी हम 
मान मर्यादा हम भूले हैं 
चाह कर भी मन मनवा ना पाये
यूंकि - 
आजकल तुम से मेरे सवेरे हैं।🙅🏼‍♀️

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