Tuesday, June 17, 2008

ek damakti dupahar

kayi chehre tahal rahe hain
ird gird ki bheed mein
kuch uljhannon mein uljhe
kayi chalakte haas masti se
suraj ki kirnon mein tap kar
shayad-
har rang yahan ka
aaj haseen hai!

...scribbled on a sunny mid-morning in the Regent's Park, London

Sunday, June 15, 2008

व्यथा

लिपटी तो तुम में
ये सोच समझ कर -
घना पेड़ है 
घना है साया 
इस वृष्ठ वृक्ष के तने तले
मेरे बिखरे वजूद को 
अमान मिलेगा 
इस ठौर थम ठहर सकूँ तो 
भूत से निकले 
वर्तमान को 
इक नव्य भविष्य का
संवार मिलेगा।


क्या पता भला था 
उस भूली लतड़ को
जो जा लिपटी 
लिए तपस वो मन की 
कि तना है खोखल
भूमि है बंजर 
वृक्ष स्वयं ही 
टेक का मुन्तज़र है। 

और अब जो 
मिल ही गये हैं हम तुम 
आलिंगणबद्ध हो 
स्थिर खड़े हैं 
इक दूजे की आड़ लिए 
एक सूखा पेड़ पड़ा है
दूजी पसरी लता है दुर्बल 
कौन सींचे किसे और क्यूंकर?
किसे झटक दे कौन 
तन मन से 
प्रतिदिन कुछ और सूखती 
पृथा पट पर 
कि सिर्फ़ स्वयं उद्धार हो।


प्रिये
सुनो ज़रा अब तुम ये -
क्या हासिल इस सब विचरण से?
मेरे अस्तित्व में 
अब शेष है क्या 
जो बेलुत्फ़ व्यथा, रुदन की बुनियाद बने?

काल कृति से जुट गये थे
हम तुम से और तुम मुझ से
दोष नहीं, है नियति नृत्य ये
कि हम मनमीत बने
लेकिन जुटे दिखते जो हम-तुम
सत्य सदा विपरीत है।

कहते सब 
है अटूट ये बंधन
मंज़िल सिर्फ़ अब एक है 
फल फूल हैं आज 
सज चुके हैं पट पे
सो एक रहेगी धरा हमारी 
और उड़ने को 
आसमान भी एक है।

For Phalali and Mumsoul

We are nought
but three souls
brought together
in time
intertwin'd
in heart n mind
we are by
a stroke of destiny

And now that
we hold our stance,-
lets rein in -
to search directions
quest answers for
who, what, why, how
when are we
wholesome wise
to figure how to
make earth abode
transitory tho,
a better place to be
for all those
that rest hither
awhile, now
and further beyond
you and me.

...a personal statement from your mom, mate and mentor

Thursday, June 05, 2008

Amersham

I love to wake up
these days to hear
the chirp of birds around
and so I love
in nights to be lulled
to sleep
when many stars abound.

They gaze at me and
I look back
revelling at their glitter
aware I am
as never before
that me in life
them far away
are formed of elements
one and same
at core
we share the matter.