Sunday, January 29, 2017

प्रिये -
आंख खुली जो बिस्तर पे 
भयावह स्वपन था मन को दहला गया 
सहस बढे चले थे हाथ
तुम्हे चेताने 
जब यथार्त ये समझा गया -
कल तुम थे आज नहीं
मेरा सिरहाना तनहा है,
अब सूखे या सैलाब से
कोई आड़ नहीं इस जीवन में
ये ख्याल बस 
बिन जल मछली सा
समूचे अस्तित्व को तड़पा गया.
खुद को तुम्हरी नज़रों से पहचानने की लगन में
खो गए कुछ यूँ सनम
कि खुद को पाने की जब हुई फ़िकऱ 
फेरी निगाह, खुद पे धरी नज़र 
तो पाया
गुज़रता वक़्त धूमिल कर चला था
दृश्य और दृष्टि दोनों ही पड़ रहे हैं कम
अस्तित्व सँभालने को नहीं हम सक्षम -
सो जाते जाते मुझ से मेरी पहचान करा दो.


Friday, January 27, 2017

exiled

I stand at brink
of sweet city of love
where I belong,
I long
To be home
I long to be held
in beloved's arms.
It is guarded well however
by soldiers who are
of my very own;
without siren or bugle to warn
they hurl to hurt;
wounded I stand alone
to face arrows and darts
of judgement
that sting at heart
How do i hit back
or retaliate,
knowing full well
that with my Prince on retreat
having signed Royal decree
that I'm ransom
for treasures he seeks
I am consigned forever
to the outskirts
of the city that I love. 

Tuesday, January 24, 2017

चलो अब इंतज़ार नहीं करेंगे
घड़ी की टिक टिक
वक़्त की रफ़्तार से फ़रियाद नहीं करेंगे
तुम्हारी बातों से दिल धड़कता है
तुम से मिल कर सुकून मिलता है
ये अहसास फिर भी है -
जो मानी मुझे है मयस्सर
इस रिश्ते से
शायद तुम को वो नहीं मिलता है
तो लो वफ़ा के नाम पे
हम ख़ुद में ख़ुद को रोक लेते हैं
लबों को सिल. लफ़्ज़ों को लोरी देते हैं
मगर ये कैसे कह दें
कि हर पल
ना होगा साथ ख़्याल
ये क्योंकर मुमकिन है
कि ज़िंदा हम तो रहेंगे
और तुम्हें याद नहीं करेंगे?



Saturday, January 21, 2017

Happy - The end

A new story -
Set to a new scene
It still has at play
An older you, a lighter me.

This time I dance
In light of love
So suavely I move
As you waltz me upon your feet
Tapping to your tune
I glide
Gracefully held at waist
When there's a trip
Heels are glued
I am braced against a fall
You've tugged me close
I stand tall
Without fear of what'll befall
Your heart's rhythm
Is fuel
To lighten my smile
Hugged, held safe in embrace
I know whats it like
To be complete
The cool of rain drop
Is felt
As it comes to rest
Over high curve of cheek
With a sigh that spells
Best of consummation
It has dissolved with that drop of tear
It knows this moment
From yester-year.


Thursday, January 19, 2017

Banquet is over


The Host ushers me in
To a splendour of colours 
Delightful aroma 
Lavishly served 
To pamper every sense
I can choose
Have what I want
Inner voice whispers 
To the roving gaze
Taking stock 
Of the platters 
To make my pick 
Just when I realise -
You are not on the menu
You are not on my list
Hmmmm....
I ignore
The bite of desire
 pang
The song that
Heart yearned it sang,
With a final look 
I withdraw to rise 
Smile polite 
And speak
To the lady eyeing from close by
I say -
Here have my seat
I'd rather fast
And be on my way
For he for whom I hunger
Isn't meant for me.


Wednesday, January 18, 2017

कहानी तुम्हारी किरदार तुम्हारे,
फिर हम कौन लिखे में तब्दीली लाने वाले?

Tuesday, January 17, 2017

Who do I deny
Myself or you?
How do I lie?
To who should I be true to -
The fear that drives you
Or desire that makes me alive?

Saturday, January 14, 2017

मारका ए इश्क़ में
मांगना अब ऐब है
सो मैं भी खामोश हुँ
वो भी खामोश हैं
उनको सब है खबर
इस लिए चुप हुँ मैं
क्या हुआ जो ऑंख मैं
थोड़ी नमी आ गयी!


Friday, January 13, 2017

He wants to shortchange -
Love with friendship
Honesty with hypocrisy
Commitment with closure
So in stillness
I say
I love you
And turn away.

👆🏽 That happened when physical shingles wrestles with with emotional shingles on a snowy cold January day.

dosti ya kutti?

प्यार को दोस्त बनाने की कोशिश जारी है
वह भूल गए हैं -
ये मेरा इश्क़ है, मेरी तर्ज़ यारी है।

Tuesday, January 10, 2017

अमीरी का पैमाना यूँ तो है 
सिक्कों का हिसाब
लोग इसी लिए जमा करते हैं दौलत. ए जनाब 
पर मेरी पुंजी तो है बस
उनसे मिले लफ़्ज़, जुमले
और उनसे जुड़े जीने मारने के एहसास 
सो आज खोली जो गिरह 
पोटली की - वक़्त बोल उठा 
अनाड़ी हुँ इस रहगुजर पे 
समझ न पायी 
कैसे हुवे तब्दील जज़्बात? 
अभी कल तलक तो 
I love you 
पे तक़दीर का तकिया 
मेरा याराना था 
आज I love her 
का मिला खोखला नज़राना है...,


दर्द का हिसाब दिल क्या रखे
वो है तो ज़िंदगी का अहसास है!

Monday, January 09, 2017

सलाह टैगोर और गुलज़ार की है
सो कैसे भला टाली जाये,
चलो इसी बात पे
रोके लेते हैं खुद को हम -
कर देते देते है मद्धम
अपने उम्मीद के दीये की जलन,
फूल रख देते हैं अलग सीने से -
गुलदस्ते में सजे
दूर सही, दिखते तो हैं,
नदी का काम है बहना
उसे बांधें क्यूँकर?
लहरों को छू के हवा
रूखसार से सटती तो है;
लेकिन दिल के साज को न छेड़ें
ये शर्त ज़रा मुश्किल सी है
बड़े दिन बंद कमरे में
थे ये ख़ामोश पड़े
हौले से भी हाथ फिरा लुँ
तो चटख़ जाएँगे क्या?
मजबूर हुँ -
छेड़ूँ नहीं जो मन की मैं धुन
साज़ तो बच जाएगा
हम ख़ुद ही बिखर जाएँगे
.....
मेरे साज़ को सुर बेसुर ही सही
बस बजने दो यार!

Sunday, January 08, 2017

पहाड़.के पद पर पड़ी 
नज़र ने पाया 
उंचाई टूटी
रेज़ा हो पड़ी थी 
ख़ाक पर पड़े आड़े तिरछे
भटकते निशान
विखरे तो सेहरा
की रेत बन गये!

जब उठी नज़र 
उंच्चाईयो की तलाश मे
तो पाया -
गर्द का ग़ुबार जुटा
ज़मीन के सायों को छोड़ चला
छोटों बडे कंकड़ पत्थर बने 
और बढे तो चट्टान बन 
गगन तले अंकित 
स्थिर चोटी के एकाकीपन
का प्रमाण बन गये !

I lose myself
to loosen grip
of longing and desire
Only to slip
and find again
A self whose quest
was written by Decree
to be fulfilled
by love alone.

कभी आँख ना मिलाना
कि दिल का ये मर्म स्थल है
नेत्र से चले हथियार पिघला देते है
उठती चढ़ती सांसों को बहका देते हैं
पलक झपकने से पहले
कर देते हैं ये घायल,
सो लो संभल
ज़रा जो तू बढ़ा चपल
प्रीत के शीत को पाने को उत्छल
कर देते हैं ये घायल,
न नयन मिला
पलकों की चादर तान ज़रा
ये प्रीत मह्ज़  भुलावा है 
in my thirst
i am perched upon sand dune
watching warm wind blow dust
in the direction of oasis -
my oasis is right ahead
open and welcoming
cool and alluring
to senses left long to dry
but why?
Why am i imprisoned
without pins and shackles
I'm held captive
against call of my season -
self respect or surrender?
which is the reason
that makes me withhold
leaving unquenched
yearnings of my soul.

एक रात तुम्हारा दिल दुखाया
तो मेरे शब ओ रोज़ पच्चीस बरस से विरान हैं -
और तुम हम से 
तराज़ू बराबर करने की बात करते हो?

Saturday, January 07, 2017

फ़ैसला है मेरा -
तुम से ही शुरू
तुम पे ही खतम
बीच की भटकन -
सारी ज़िंदगी पे नाम
तुम्हारा ही रहेगा
क्यूँकि सब
मेरे रब की अता है।


Friday, January 06, 2017

from womb to tomb
tumbling through thick and thin
despairing when its dark and dim
making way
through commotion, confusion
wanton emotions
conflicting views
on who is right, and who is wrong
in whose opinion -
we live a life span,
the levied legacy of being human;
tell me O Lord in Heaven
have we then not been wired
doomed to fail and falter
forgive but i query in wonder
if in the realm of Divine will
we have not been
set up and born to 'sin'?
तुम्हारे इश्क़ की चाशनी तुम्हारे लबों से चुरा
अपने होंटो पे
लिपस्टिक, लिपग्लॉस के  रंगों तले 
तुम से ही छुपा ली है।