Saturday, October 31, 2015

Rational mind
Here let me lay you to rest
I am being pulled 
Tugged by strings of my heart.

Monday, October 26, 2015

कई दर्द ज़माने ने दिखलाए हैं
ख़ुश बाश मौसम को ख़िज़ां बनाने के
कई असबाब नज़र में आए हैं
ये सब बस एक सादा सबब समझाने को-
ज़िन्दगी में पूर सोज़ अतश 
रब से जुदाई के सिवा कुछ भी नहीं ।


Tuesday, October 20, 2015

अक़्ल ज़िंदा है दोस्त

ज़िन्दगी में ये तै कहाँ
बूरा वक़्त, मुसीबत, तुफ़ां
कब किस मोड़ पे आ दबोचे
ऐसे में उस बेपरवाह, बेवफ़ा 
खेवैये का मन कयोंकर ऐतबार करे
जो पिछले तुफान में
दहलाती मौजों के दरमियाँ
डूबती नाव समेत
मुझे डूबता छोड़
पतवारों को तोड़
अकेला किनारों की ओर
तैर पड़ा था? -
चरित्रों की पहचान 
इतनी कठीन भी नहीं।

Wednesday, October 14, 2015

I will take both

Without seeing shadows
There's no light to sight!
So yes,
I will take both -
Pain and sorrows
Hurt and delight
In any measure 
That He deems fit
To pour right to the brim
And I'll sip with mirth
Without fright
As my cup overflows  
With elixir of life.

Friday, October 09, 2015


कई दिलों को मैंने
है टूटते बिखरते देखा
मसलेहत के दीवार की आड़ लिए
प्यार के पथ से 
पतली गली में सरकते देखा 
कई एक चाहतों को 
परवान चढ़ने से पहले
अहं की चट्टान से टकरा 
रेज़ा हो के बिछड़ते देखा
तो जब अपने आँगन में 
जमती दूब पे नज़र डाली
छेंक आँचल से घर के 
गमले में सजा लाईं हुँ
वक़्त के बदलते मौसम के
थपेड़ों की ख़बर 
भला किस को है?