Friday, August 29, 2014

मंज़िल बदलती है

ठहराव की मंज़िल पा ठिठकी
ठहर, पड़ाव डाल जो नज़र उठी
तो पाया -
अब मंज़िल बदल चुकी!

Tuesday, August 26, 2014

Confession

In yearn to belong
I sold my soul
To another
And realised
My heart's master
Was possessed
To all else he belonged.

Yoga for me

Yoga -
A path
A union
A knowing
A living
A return
to Self
to Source
to Truth.

Sunday, August 24, 2014

निराकार परमात्मा
तुम्हारी आडंी तिरछी लकीरों़ में समाई सृष्टि
और उस में बध मैं भी
ढूंढती हुँ उसका आधार
जो मेरी आत्मा 
का स्वरूप पूरा कर दे;
युं जो तुमने ही खींची 
हर आकार की सीमा 
उसकी रूह के संकुचित निर्माण 
या विस्तार का ज़िम्मा
तुम्हारी रचना के 
सरल अध्याय का पन्ना ठहरा,
सो अब -
सबक़ मुकम्मल कर दो ।