A personal expression of experience of love
तो पकड़ ली मैंने
एक ही राह
एक ही रही डगर
एक ही ठौर मैं चली
तुम ही मद
रस, मधु, मदीरा, स्वाद
सब तुम से
तुम में रन के।
चल पड़ी सही
पर मोड़ों की ख़बर नहीं
कमज़ोर क़दम हैं
और इकमात्र सारथी
है इक घायल दिल
और अटूट यक़ीं -
जो सफ़र रहा
तुम से तुम तक
तो फिर लाज़िम
दिवाने का ठौर
पहुँच जाना है।