Saturday, November 29, 2014

 एक आदत की तरह हम भी जिये जाते है
युंकि हर सुबह को शाम, रात को सेंहर तक ले जाते हैं
मक़सद ढ़ुंढ़ने की फ़िक्र है ना अंजाम का ख़ौफ़
हम तो ख़ुश है कि खुशरंग साथ व सफ़र मे
मेरे रात और पहर बहुत ख़ूब कटे जाते हैं।

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