Monday, May 18, 2015

हँसी ढ़ूंढ़ने चली इस बार
तो ना पिया के द्वार
ना प्यार की गली
खुला आसमान, समस्त संसार
हर खिलखिलाहट थी छुपी
तुम संग मूक वार्तालाप में।

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