Friday, March 24, 2023

रहगुज़र

मेरी ज़िंदगी रहगुज़र रही
खून के रिश्तों से बढ़ 
दिल के रिश्तों तक का सफ़र 
ख़िज़ाँ मिली और बहार भी 
जो एक क़ायम सूतूँ था 
वो वही तो था 
बस वही तो था 
रब मेरा मुश्किल कुशा
परवरदिगारे दो जहां -
जब जब शमा बुझ कर जली
मौजूद थी सिर्फ़ तजल्ली तेरी।

No comments: