सच है
उन का रंग बिरंगा गोला
कुछ यूं है उछाला तुमने
कि उस के इक सिरे को पकडे
आदमज़ाद बस उलझते जूझते
अरमानों की पेंचों में थिरकते
खींचे चले आते हैं
एक दुसरे से जुटे
तुम्हारी ओर
की बस यही कशिश
लीला और रास
जिए जाने की चाहत का अहसास
बस तुम्हारे हाथों की जुंबिश
का ताबेदार है
जहाँ दूसरा सिरा
तुम्हारी पकड़ ने धरा है।
उन का रंग बिरंगा गोला
कुछ यूं है उछाला तुमने
कि उस के इक सिरे को पकडे
आदमज़ाद बस उलझते जूझते
अरमानों की पेंचों में थिरकते
खींचे चले आते हैं
एक दुसरे से जुटे
तुम्हारी ओर
की बस यही कशिश
लीला और रास
जिए जाने की चाहत का अहसास
बस तुम्हारे हाथों की जुंबिश
का ताबेदार है
जहाँ दूसरा सिरा
तुम्हारी पकड़ ने धरा है।
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