Wednesday, April 09, 2014

अलविदा

जाओ सब जाओ
याद फ़रियाद
यहाँ ना वक़्त है, ना मकान
मेरे दिल की हर गली
है अब विरान
मुझे बस इस खामोश आँगन
के सन्नाटों में
सिर्फ विर्द समेत
बसने दो।

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