Thursday, April 10, 2014

हैरान हुँ -
मेरी ख़िज़ां के ज़िम्मेवार
गुलों के रंगो बू का 
मुझ से ख़ुमार मांगते हैं
बंदगी में ख़ुदाई से 
हुँ मैं तलबगार
कि उनके चमन में रहे 
सालो साल वह बहार
जिसके पैमाने का
मेरे सिम्तो सू से 
वो क़रार माँगते हैं!

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