Wednesday, November 11, 2015

दिवाली की रात

ढ़लते दिन के उजालों को संभाले रखिये,
कि रात आती तो है, पर आज
जगमगाते दीयों से हर सिम्त उजाला होगा
हर जुग में होता आया है, अब भी
झूठ रूस्वा और ज़ुल्म का मूँह काला होगा।

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