Wednesday, July 27, 2016


कभी कभी लफ़्ज़ बेफ़ज़ूल होते हैं
ख़ामोशियों से भी अक्सर उनके पलट जाने के 
पैयाम दिल के दरवाज़ों पर
बिन दस्तक ही मोसुल होते हैं।


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