Saturday, April 22, 2017


कौन अपना है ?
कौन पराया ?
ठोकरों ने बखूबी समझाया -

बात ख़ुद की निकली थी
रब अकेले से 
सो संध्या बेला में 
अपने साये को 
बस उसी वजूद के बल पे
निश्चिंत खड़ा पाया।

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