Thursday, June 29, 2017

नमी

मौसम में आज नमी सी है
मानो है ख़बर
यहाँ कुछ कमी सी है।

दिल की दहलीज़ पर ले आयी हूँ
ख़ाली करने की उम्मीद सी है
हर उस मासूम अहसास
जिस ने थी जान भरी
तुम्हारी दस्तकों ने रवाँ की थी 
दम में आसो हसरत ....
पर ना शिकवा ना गिला
ना अब है याराने का भ्रम
साथ निभाने के हैं वादे बेदम।
रस्में वफ़ा है क्या ख़ूब निभी
आपके बेवफ़ा अन्दाज़ से -
सो बहाये देती हूँ 
आज बरसती बूँदों के संग
निसंकोंच 
अपने आँखों की नमी ।


Wednesday, June 28, 2017

हम ने बेज़ुबानी में क़रार पाया
सुना जो है -
इश्क़ कि ज़ुबान नहीं होती।
ख़ामोश सच कि तलबगार हूँ मैं
झूठी तसल्लियों की सौदागर नहीं;
बाहरी रानाईयों के ख़रीदार तुम
अहं की क़ैद में गिरफ़्तार तुम।
तुम्हारी बेरुख़ी पे मैं हैरान नहीं 
है तस्लीम दिल को तहे दिल से -
सहमे युवे सनम में 
वफ़ा की शान नहीं।

Wednesday, June 14, 2017

कामिल का कमाल

आधे अधूरे हम रहे
बाँटे बटे से तुम -
क्या इस तक़दीर को लिख
विधाता ने दिया जन्म?

नकारता है मन यूँकी
अपने रास्ते चुनता इंसान है
और पुराण में पूर्णता 
ही रब की पहचान है
फिर मुकम्मल करना  
कामिल का कमाल 
और शान है ।

Tuesday, June 13, 2017

सच की साख

क्यूँ पूछते हो
बदहाल का हाल -
झूठ हम कह नहीं सकते
सच सुनने की
तुम में कहाँ है मजाल?

Sunday, June 11, 2017

Toughening up

As if ache in heart 
was not enough
Mind stands by 
Wearied by ageing years' log
Elements in body cry
In pain, as
I immerse my time-space
In slog 
Beyond the reaches of this blog -
Hope is to turn tough!




Sunday, June 04, 2017

क़िस्सा ख़त्म

बचपन में नानी की ज़ुबानी 
कहानी सुनी
फिर बड़े शान से मुस्कुराती
करवट ले
कुछ यूँ वो थी बुदबुदाती
लो हुआ क़िस्सा ख़त्म 
कहानी हज़म ...
तो अब भी है आस
जो अटल रहे नियम
अब हुआ हमारा क़िस्सा ख़त्म -
बस मन को इस के 
सार के हज़्म 
होने का इंतज़ार है 😊