Vishwamohan - a dear friend keeps inspiring me with life and living. He is a rare gem of a person blessed with a balance of creative and logical mind adding value to the science and engineering as well as philosophy and Hindi literature (https://vishwamohanuwaach.blogspot.com). His message with a question tickled me into writing this morning.
He said: हमारे ऑफिस के एक स्टाफ, चिश्ती जी, ने बताया कि सबीना रात्रि के एक प्रहर को भी कहते हैं। अब तुम बताओ कि रात्रि को कौन सी प्रहर हो तुम!
So I said:
मैं -
सुबह की शफ़क़ की लाली
फुटने से क़बल की अंधियाली
ब्रह्माकाल का अज़्म सजो
अग्रसर ज़िंदगी की लौ लिए.
May the All-knowing Almighty accept 🙏🏼
2 comments:
उम्मीद वाली उषा !
बीती विभावरी
जाग री
अंबर पनघट में
डुबो रही
तारा घट
उषा नागरी।
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