Monday, January 02, 2023

New Year

The new year has begun on a cynical note being dropped by friends and family - so what if a new year has started, nothing has changed as a matter of fact. Here are a couple that triggered my muse.


नया साल 

इस नये साल में सुर्ख़ाब का पर कौन सा है 
साल बदला है पर अहवाल नहीं बदला है 
वही बातें, वही क़िस्से, वही आशफ़तासरी 
न उमंगें न तरंगें 
तरो ताज़ा नहीं इस क़ौम का अहवाल मियाँ 
दिल पुराने हैं तो फिर कैसा नया साल मियाँ 
ज़िंदा क़ौमें 
नये सूरज में सेहत देखती हैं 
क्या ख़बर हम को कि ये रंगे सेहर कौन सा है 
इस नये साल में सुर्ख़ाब का पर कौन सा है 
साल बदला है पर अहवाल नहीं बदला है 😀😀😀

Poet is Dr Hilal Naqvi

My consciousness chooses to side with optimism though.

New year
New era 
New countdown -
Of resolves 
Promises - some broken 
Healed wound(s)
Renewed perspective 
Body that's worn 
Out and out 
Yet heart that's in yearn
Let me try again 
The best in me is yet to be born. 

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