नया साल
इस नये साल में सुर्ख़ाब का पर कौन सा है
साल बदला है पर अहवाल नहीं बदला है
वही बातें, वही क़िस्से, वही आशफ़तासरी
न उमंगें न तरंगें
तरो ताज़ा नहीं इस क़ौम का अहवाल मियाँ
दिल पुराने हैं तो फिर कैसा नया साल मियाँ
ज़िंदा क़ौमें
नये सूरज में सेहत देखती हैं
क्या ख़बर हम को कि ये रंगे सेहर कौन सा है
इस नये साल में सुर्ख़ाब का पर कौन सा है
साल बदला है पर अहवाल नहीं बदला है 😀😀😀
Poet is Dr Hilal Naqvi
My consciousness chooses to side with optimism though.
New year
New era
New countdown -
Of resolves
Promises - some broken
Healed wound(s)
Renewed perspective
Body that's worn
Out and out
Yet heart that's in yearn
Let me try again
The best in me is yet to be born.
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