मुअम्मा है -
ज़िंदगी की करवटें
ये उतर चढ़ाव
भावनाओं की सलवटें
किसने की मुअइयन?
ये हमारे दाव पेंच थे
या क़दर की थी पटखन
जिसने ज़िंदगी को
पेचीदा बना डाला?
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