Tuesday, April 23, 2024

मैं और मेरी रचना

A friend sarcastically commented on my perception of love and its value in life even though the experience was tainted with betrayal and let down. This is an expression in response.


BTWI still believe love truly is. I cherish what happened then and only happened once. Grateful to you Almighty 🙏🏼


लगन हुआ एक बार
प्यार भी रहा इकलौता 
हुआ सिर्फ़ इक बार
दोस्त -
बस याराना ही सोभा 
सहा है हम को 
सो हम है कर पाये 
ख़ुद को रख स्वच्छंद 
मैत्री हुई मन की 
बेशुमार बारम्बार, 
सो रहने दें आप 
अपने बेजा ताने बानों के वार;
ऐसे ही बने हैं हम 
हैं हम विधि विधाता के निज़ाम 
तो अपनी ये रचना 
आप को हो ना हो 
मुझे है -
तहे दिल से स्वीकार ।

Bhumi Divas

 सुबह टहलते मज़बूत पेड़ के तनों को देखा तो ये ख़याल आया। और लगा के 'old fashioned' cultural traditions ऐसे ही हमारी संस्कृति सम्भाले हुए हैं। दोनों को बचाना ज़रूरी है।


कल दिन था पृथ्वी का

और मेरी नज़र सोख रही थी
स्थिरता पेड़ों की
जो इर्द गिर्द ज़मीन पे 
ख़ुद को जमाये 
अड़े खड़े थे 
अपने कर्म पथ पे।

जड़ें वृद्ध वृक्ष की 
संयम से डटी
समय पर पकड़ लिए
जीवन दामिनी 
साँस फूँक रही 
वसुंधरा को 
वनसंहार के बावजूद
प्रलय प्रकोप से परे घसीटती 
धरती को 
बस वैसे ही 
जैसे वृद्धा दादी
अपने परिवार को 
रूढ़िबादी कहलाती 
फिर भी
परंपराओं के आँचल में 
सिमटाती रहती 
अपने अनथक प्रयास से 
अपने परिवार को 
यूँकि कहीं
आधुनिकता की बाढ़
ना उजाड़ फेंके कहीं संस्कार  
वो जो आत्मा को मानवता की 
तरफ़ कर अग्रसर
परिपक्वता से 
अमन की चादर 
घर बाहर 
पसराते हैं।

इन झुर्रियों ने यूँही 
चढ़ाव उतार नहीं देखा 
वक़्त का
और ना ही इस पेड़ ने -
यक़ीनन इन ने
कई करवटें ताकीं है 
क़ुदरत के काल की
जिन झलकी में है असर 
नर और वन संहार संग
पौरुष का प्रकृति प्रति 
मृदु व्यवहार की।


Monday, April 15, 2024

मेरा मौसम...

Jotted on a day when  heart felt humid and heavy

मेरा मौसम 
आज भीगा सा है 
गीला नहीं, क्यूँकि
भिगाना अपनी रहमतों से
भगवान की रीत है,
गीला तो हम
ख़ुद को 
अपने गिलों से 
और शिकवों से 
करते हैं ।