Dhup se udhari laga rahe hain
Agle baras lautayenge
- from Rashmi Ma'am's garden
कोई मेल नहीं ना?
जहां असंख्य प्यार करने वाले
पड़े तुम्हारी झोली में
मेरे आँचल में नफ़रत, अवहेलना
तिरस्कार अपमान के ढेरों समान पड़े हैं
Hero se Zero ka
कोई मेल hai hi नहीं।
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