Saturday, October 01, 2011

निशा के आँगन में
चांदनी कुछ इस तरह छिटकती है
जैसे मेरे दामन में
तन्हाई बस्ती है
और सुना है 
ऐसे में ख़ामोशी 
कुछ यूं आहट करती है 
जब इक धड़कन कहती है
तो दूजी सुनती है ---

तो क्या सुना तुम ने?

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