दिल को लगी है
जो दिल की लगी
ये कैसी है दिल्लगी खुदारा,
घायल जो अरमान हैं
चाहत से बढ़ के तो
खुदी को पाने को
खुदी को पाने को
बेकल हैं -
चाहें ये बरबस
चाहें ये बरबस
तुमरी शरण में गुज़ारा.
A personal expression of experience of love
No comments:
Post a Comment