उसकी सरगोशी में अब भी
मुसर्रत बाकी है, और बेईमानी भी
सो हर आहट पे धड़कन ज़रा
धक्धाकती है, कि क्यूँ भला
मेरी ख़ामोशी में बरजस्ता
तुम्हारी आवाज़ चली आती है -
यहाँ कहने सुनने को अब क्या रहा?
A personal expression of experience of love
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