Monday, June 27, 2022

माँग दरवेशी

 धार कोई और कहाँ यहाँ-

रब इकलौता स्रोत मात्र है,

और ये मन कोरा, केवल 

है दरवेशी का ख़ाली कूजा;

पाने को हर पल

ललक ललक प्रभु प्रसाद 

का प्रार्थी है।

1 comment:

विश्वमोहन said...

रे मन
क्यों भटके सुकांत
रब तेरे अब
वहीं मिलेंगे
जहां जहां एकांत!