तन्हाई के साए
बड़े गहरे होते हैं
- गुमा देते हैं खुद में
यूं कि वजुद विलीन हो बैठे
बेपनाह सन्नाटों में
लेकिन कभी कभी
ये अँधेरे ही दिखा देते
हैं ज़िन्दगी का ऐसा सच
रौशनी कि दमक भी
जिस का निशां
पा न सकी थी -
मेरा वोह सच तुम थे
और मेरी तन्हाई मेरा आज
जो प्यारी है इस लिए
कि कम से कम यहाँ मैं
मैं हूँ तो सही!
2 comments:
Hello Sabina.,,,found you through Shivani's blog.
मेरा वोह सच तुम थे
और मेरी तन्हाई मेरा आज
जो प्यारी है इस लिए
कि कम से कम यहाँ मैं
मैं हूँ तो सही!
The soul of your poem seems so true! Sometimes, the darkness really leads us into the light and there we know what we had/what we lost while we are in light and darkness....
I will keep visiting.
-Shaifali
http://guptashaifali.blogspot.com
Hi Shefali, I feel the words that you jot down too. Its good. Again Shivani's blog gets credit for it.
Thanks.
Post a Comment