Friday, May 30, 2014

बस साथ बहो

सेहरा और समुन्दर 
दोनों हैं सागर;
एक रेत के कण लिये फिरता है
दूजा आब की बूंदों में बहता है - 
कण का अस्तित्व तभी तक
जब तक लहर के साथ बहे
नहीं तो गर्द का धब्बा या 
पानी का पड़ा और क़तरा -
पुंछना ही इनका नसीब है।

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