Wednesday, May 21, 2014

प्यार की मर्यादा

बरसों बरस बीत गये
फिर भी सादा साथ
और उस साथ में
सरल प्यार का अहसास
बिन कहे और सुने
करवा रहा है
मूक सही बतला रहा है
रूह को रूह की पहचान
यह हमारे अस्तित्व के
अकेले सच का आभास-
हर काल, उल्लास, वेदना,
या उन्मुक्त भावना 
रिती रिवाज, परिवार से परे
मान अवहेलना के तंग दायरों से मुक्त
बिना कुछ लिये या दिये
प्रिय -
मुझे तुम से अब भी
बेवजह प्यार है ।

1 comment:

Shaifali said...

How beautiful and seemingly often the gist of a true lover's life!

प्रिय -
मुझे तुम से अब भी
बेवजह प्यार है ।