Thursday, December 31, 2015

I don't want to be an apology
Certainly not someone's responsibility
Love is a contract 
Of acceptance with individuality -
I'd desired to be loved.

Wednesday, December 30, 2015

Zindagi guzri hai 
Usool o faraiz pe marhaba kah ke
Dua ab ye hai 
Mujhe meri hayat ka maqsad mil jaye.

Shaq woh hon 
Jinhe oobchaiyan bulati hain
Hum to tumhare wisl ki umeed ka 
Takiya lagaye baithe hain.

Monday, December 28, 2015

 सरनगु हुँ -
बिगड़ते हालात हैं तो सही
हालतें तवाफ़ में भी मैंने थी 
तुम से बस ये बात कही
उम्र बीतेगी
रात की गहराई में 
मौत बेशक इक रोज़ सुला जाएगी
डर या ग़म का यहाँ बिलकुल कोई मुक़ाम नहीं,
गिला होगा तभी जब 
इन बेवफ़ाओं के संग
मेरी रूदाद ही नहीं
नाम की नाद भी सुनी जाएगी!
नाम सबीना है मेरा
बेजा क्युं रूस्वा होगा
दुनिया वालों की ज़बां जब किसी और का कह कर
मुझे पहचानवाएगी?

रब्बे काबा हो, ख़ालिक़ो रहमान भी हो
रस्में मसीहाई में लिल्लाह कुन फयकूं कह दो
रूह जब जस्दे ख़ाकी से हर दम को जुदा हो
तुम्हारी सबीना ही मरी है
सिर्फ़ इस निदा से दुनिया
ने मेरी रिहाई की खबर पाई हो।

Wednesday, December 23, 2015

ज़िंदगी जी है अभी तक
रस्मों को हुक्मे इलाहा कर के
नए साल का सूरज जो इस बार चढ़े
या रब -
मेरे दिल के साजों को ताहशर
मेरी तक़दीर का हुक्मरां कर दे।

Friday, December 11, 2015

बिखरी हूँ
फैले हुवे इन किर्चों को संभालो ना कोई
टूटी सही पर जान तो बाक़ी है ना अभी 
किताबों से दवाओं के नाम 
तुमने क्या ख़ूब रटे हैं 
कईयों के इलाज तुमने बहुत बख़ूबी भी किए हैं
हो मेरे भी अाशना
लो आशनाई की क़सम दी
क्या कहने जो बीमारी में 
शफकत का भी हो जाए बदल कोई
बेशक हर दामने उम्मीद मेरे हाथों से छुड़ा लो
मगर मरीज़ को तब्दीले दवा की पहले तो ख़बर दो
भटकी हुँ 
मंज़िल की कशिश मगर अब भी है दिल में
चलने का अज़म हुँ ले के खड़ी मैं
वो हाथ जिसे मेरे रस्ते की ख़बर हो
उसे मेरी जानिब लिये वो साथ बढ़ा दो
ज़िंदा हुँ सनम
गोरो कफ़न में क्युं बाँध रहे हो
बहते हुअे लहु की रफ़्तार से अनजान सही तुम
साँसों की तपिश की तो तुम्हें ख़ूब ख़बर है
माज़ूर जिस्म मेरा है
मायूस हैं राहें
ठोकरों से मेरे दिल को अब मैय्यत ना बना दो।

Sunday, December 06, 2015

हाँ सच है और भी ग़म हैं मुहब्बत के सिवाय
राहतें और भी हैं वुसल की राहत के सिवाय
पर इस का क्या कीजे जो वुसल के होने से जनाब
दिल के वीरानों को जीने की जसारत मिल जाये
कुछ मुश्किल नहीं कि फिर ख़ुद भी जी लें
और कुछ मुर्दा निगाहों में बसीरत भर जायें;

सुनो क्यूँ सामने रखते हो मेरे ये बेलुत्फ सवाल?
कहाँ महबूब से जुदाई 
कहाँ बेवुसल तारीकियों में हमारे अहवाल?
औरों के ग़म का क्युं ख्वामख़ाह है हिसाब आज?
पहले ख़ुद तो जी लें ज़रा, 
फिर फ़ुरसत से कर पाएँगे हम इंतख़ाब
राहते वुसल को पा ही मेरा क़ल्ब करेगा
पराये ग़मों का बख़ूबी इलाज......

सच है और भी ग़म हैं मुहब्बत के सिवाय
राहतें और भी हैं वुसल की राहत के सिवाय
पर क्या बेमानी व बेमोल नहीं ज़िंदगी का सफ़र 
इन दो के बजाय ।

Saturday, December 05, 2015

living simply human


Thoughts, words, action
Coming in course of events,
Or, encounters with another soul
Give pleasure and at times 
Much pain leaves its mark -
Overt or subtle 
Emotions arise 
When enacting drama of life
The interplays of shadows and light
Have made me realize
Without the high and low
A smooth and plain sail
Would have deprived me so
Of the experience in totality
Of the miracle
Of being simply human.

Thursday, December 03, 2015

Dost poochta hai
Kaise hai jeena
Mujhe batao
Ki zindagi mein har dao
Aaj kal ulta padta hai
Kaha main ne
Mere Bhai
Mujhe to bas hai 
Ek hi baat samajh mein aayi
Jeena hai ek baar
To jiyo yahan baram baar, bas
Hanste hansate 
Saaz sangeet sajate  
sher gungunate
gham to dhuen mein udate
khushi ko ganth laga taawiz banate
logon ko salam aur salamti ki dua de 
bas apne hi dil ke aangan mein 
Nazar tikate

Tuesday, December 01, 2015

You know me all

Tread nor dwell down here
For I live a life so bare
Man,
There's no mystery about me!