सरनगु हुँ -
बिगड़ते हालात हैं तो सही
हालतें तवाफ़ में भी मैंने थी
तुम से बस ये बात कही
उम्र बीतेगी
रात की गहराई में
मौत बेशक इक रोज़ सुला जाएगी
डर या ग़म का यहाँ बिलकुल कोई मुक़ाम नहीं,
गिला होगा तभी जब
इन बेवफ़ाओं के संग
मेरी रूदाद ही नहीं
नाम की नाद भी सुनी जाएगी!
नाम सबीना है मेरा
बेजा क्युं रूस्वा होगा
दुनिया वालों की ज़बां जब किसी और का कह कर
मुझे पहचानवाएगी?
रब्बे काबा हो, ख़ालिक़ो रहमान भी हो
रस्में मसीहाई में लिल्लाह कुन फयकूं कह दो
रूह जब जस्दे ख़ाकी से हर दम को जुदा हो
तुम्हारी सबीना ही मरी है
सिर्फ़ इस निदा से दुनिया
ने मेरी रिहाई की खबर पाई हो।
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