मौसम में आज नमी सी है
मानो है ख़बर
यहाँ कुछ कमी सी है।
मानो है ख़बर
यहाँ कुछ कमी सी है।
दिल की दहलीज़ पर ले आयी हूँ
ख़ाली करने की उम्मीद सी है
हर उस मासूम अहसास
जिस ने थी जान भरी
तुम्हारी दस्तकों ने रवाँ की थी
दम में आसो हसरत ....
पर ना शिकवा ना गिला
ना अब है याराने का भ्रम
साथ निभाने के हैं वादे बेदम।
रस्में वफ़ा है क्या ख़ूब निभी
आपके बेवफ़ा अन्दाज़ से -
सो बहाये देती हूँ
आज बरसती बूँदों के संग
निसंकोंच
अपने आँखों की नमी ।
1 comment:
bahut acha bhai apney bahut ache se samajhya hai
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