बरसों बरस बीत गये
फिर भी सादा साथ
और उस साथ में
सरल प्यार का अहसास
बिन कहे और सुने
करवा रहा है
मूक सही बतला रहा है
रूह को रूह की पहचान
मूक सही बतला रहा है
रूह को रूह की पहचान
यह हमारे अस्तित्व के
अकेले सच का आभास-
हर काल, उल्लास, वेदना,
या उन्मुक्त भावना
या उन्मुक्त भावना
रिती रिवाज, परिवार से परे
मान अवहेलना के तंग दायरों से मुक्त
बिना कुछ लिये या दिये
प्रिय -
प्रिय -
मुझे तुम से अब भी
बेवजह प्यार है ।
बेवजह प्यार है ।
1 comment:
How beautiful and seemingly often the gist of a true lover's life!
प्रिय -
मुझे तुम से अब भी
बेवजह प्यार है ।
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