Saturday, December 24, 2016

Experiencing 1990-1992 all over again!

वो हर रहगुज़र पर
बिन बात ही आँसू की बरसात
फिर आँखें पोंछ चल पड़ना
तनहा ज़िंदगी के साथ
फिर जी रहें हैं हम
वही लम्हात!






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