Sunday, March 05, 2017

उसने कहा था on 13.7.16

उस ने कहा:

सुना है बारिश है तुम्हारे शहर में,
 ज़्यादा भीगना मत
धुल गयी सारी ग़लतफ़हमियाँ अग़र,
 बहुत याद आएँगे हम

तो फिर हम ने कहा:

याद जो बारिश से ग़लतफ़हमी धुलने की मोहताज हो -
मेरे आँगन में नहीं पड़ती
हम ने शमा-ए-उल्फ़त जलायी है यहाँ
रहमते खुदा से लौ ले कर।

😐

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