उस ने कहा:
सुना है बारिश है तुम्हारे शहर में,
ज़्यादा भीगना मत
धुल गयी सारी ग़लतफ़हमियाँ अग़र,
बहुत याद आएँगे हम
तो फिर हम ने कहा:
याद जो बारिश से ग़लतफ़हमी धुलने की मोहताज हो -
मेरे आँगन में नहीं पड़ती
हम ने शमा-ए-उल्फ़त जलायी है यहाँ
रहमते खुदा से लौ ले कर।
😐
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