Monday, May 22, 2017

ठान

उसे है आदत अपना कर 
मुकर जाने की,
हमें आरज़ू है 
परायों पे
बोझ ना बन जाने की।

रब हो तुम
तो हक़ रही
तुम्हारी विधि भ
बन्दों को आज़माने की।

इसी सराप में है गिरफ़्तार ज़िंदगी
है मुक़ाबिल में 
बंदगी और तेरी ठान 
उसे आज़माने की!

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