उसे है आदत अपना कर
मुकर जाने की,
हमें आरज़ू है
परायों पे
बोझ ना बन जाने की।
हमें आरज़ू है
परायों पे
बोझ ना बन जाने की।
रब हो तुम
तो हक़ रही
तुम्हारी विधि भ
बन्दों को आज़माने की।
तो हक़ रही
तुम्हारी विधि भ
बन्दों को आज़माने की।
इसी सराप में है गिरफ़्तार ज़िंदगी
है मुक़ाबिल में
बंदगी और तेरी ठान
उसे आज़माने की!
No comments:
Post a Comment