Sunday, May 07, 2017

आभारी हूँ -
बरसों ख़िज़ाँ रही
मगर गुज़रे महीनो की  
बहार से है मात
गुज़िश्ता हालात पर 
ये पलकझपकी का पल भारी है,
मेरी ख़्वाबीदा शाख़ों पर 
अब भी 
उल्फ़तों की हरियाली है!

No comments: