अमीरी का पैमाना यूँ तो है
सिक्कों का हिसाब
लोग इसी लिए जमा करते हैं दौलत. ए जनाब
पर मेरी पुंजी तो है बस
उनसे मिले लफ़्ज़, जुमले
और उनसे जुड़े जीने मारने के एहसास
सो आज खोली जो गिरह
पोटली की - वक़्त बोल उठा
अनाड़ी हुँ इस रहगुजर पे
समझ न पायी
कैसे हुवे तब्दील जज़्बात?
अभी कल तलक तो
I love you
पे तक़दीर का तकिया
मेरा याराना था
आज I love her
का मिला खोखला नज़राना है...,
No comments:
Post a Comment