पहाड़.के पद पर पड़ी
नज़र ने पाया
उंचाई टूटी
रेज़ा हो पड़ी थी
रेज़ा हो पड़ी थी
ख़ाक पर पड़े आड़े तिरछे
भटकते निशान
विखरे तो सेहरा
की रेत बन गये!
की रेत बन गये!
जब उठी नज़र
उंच्चाईयो की तलाश मे
तो पाया -
गर्द का ग़ुबार जुटा
ज़मीन के सायों को छोड़ चला
ज़मीन के सायों को छोड़ चला
छोटों बडे कंकड़ पत्थर बने
और बढे तो चट्टान बन
गगन तले अंकित
स्थिर चोटी के एकाकीपन
का प्रमाण बन गये !
का प्रमाण बन गये !
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