ख़ामोश तुम्हारी दी
ज़िंदगी का घूँट
पिये जाएँगें
चाहे प्यास को आसूदगी
मिले ना मिले,
ना कोई सवाल है
ना इसरारे जवाब
का है यहां मुकाम,
साथ साक़ी का है
सिर्फ़ रूह को दरकार
फिर चाहे सोज़ अतश को
सैराबगी का जाम
मिले ना मिले ।
A personal expression of experience of love
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