अब तो तुम्हारी ही कहानी चलेगी
रब चाहे रखो
या फिर जला डालो प्रेमाग्नि में -
हाँ भस्म की राख
जब वक़्त की ससरती हवाओं के स्पर्श से
सिसकियाँ भरेगी
बज़ुबाने अदब मेरी रूह कहेगी -
इस चिता पर आग तुमने ही धरी थी।
रब चाहे रखो
या फिर जला डालो प्रेमाग्नि में -
हाँ भस्म की राख
जब वक़्त की ससरती हवाओं के स्पर्श से
सिसकियाँ भरेगी
बज़ुबाने अदब मेरी रूह कहेगी -
इस चिता पर आग तुमने ही धरी थी।
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