आज के सन्नाटे
को काट रही है फिर
झकझोरती हवाओं की सायँ सायँ
फ़र्क़ बस ये है -
कि पटना की हवा में लू की धधक थी
परदेस मे सर्द बर्फ़ीली फ़िज़ा से है जुस्तजू।
को काट रही है फिर
झकझोरती हवाओं की सायँ सायँ
फ़र्क़ बस ये है -
कि पटना की हवा में लू की धधक थी
परदेस मे सर्द बर्फ़ीली फ़िज़ा से है जुस्तजू।
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