कभी उल्फत कभी नखरों
के उलझाओ से
कभी विनती कभी चूमकार से
कभी तेज तकरार से
कभी गुस्से में भेड़े किवाड़ से
या प्रीत की गुफ़्तार से,
हर परदे की आड़ से परख के
रूप एक ही सच का पाया
सरगोशी करता इकरार से -
रस्मों के दिए अधिकार से परे
हमें तुम से प्यार है।
के उलझाओ से
कभी विनती कभी चूमकार से
कभी तेज तकरार से
कभी गुस्से में भेड़े किवाड़ से
या प्रीत की गुफ़्तार से,
हर परदे की आड़ से परख के
रूप एक ही सच का पाया
सरगोशी करता इकरार से -
रस्मों के दिए अधिकार से परे
हमें तुम से प्यार है।
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