तुम्हारी आँखों से दुनिया जब जानती थी
गुलों में रंगो, बू थी
पलटी नज़र तो ख़िजाँ बढ़ी -
इस के आँगन में
मैं ने ख़ुद को पहचाना है.
गुलों में रंगो, बू थी
पलटी नज़र तो ख़िजाँ बढ़ी -
इस के आँगन में
मैं ने ख़ुद को पहचाना है.
A personal expression of experience of love
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